INDICATORS ON पारद शिवलिंग के लाभ YOU SHOULD KNOW

Indicators on पारद शिवलिंग के लाभ You Should Know

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पारद शिवलिंग हे महादेवाचे प्रत्यक्ष रुप मानले जाते. त्यामुळे घरात पारद शिवलिंगाची प्रतिष्ठापना करा. घरातील देव्हाऱ्यात पार्वती-शिवांचे चित्र असेल तर त्यांच्यासमोर पारद शिवलिंगाची स्थापना करा. तत्पुर्वी चांदीच्या, तांब्याच्या किंवा पितळाच्या ताटावर पांढरे कापड पसरून त्यांना शिवलिंग बसवावे. सर्व प्रथम पारद शिवलिंगाच्या उजव्या बाजूला दिवा लावावा. त्यापूर्वी त्यांना गंगाजलाने आभिषेक करा.

इसके पश्चात इससे संबंधित मंत्र का शुद्ध रूप में उच्चारण करें।

अपने जीवन में खुशहाली पाने के लिए पराद शिवलिंग की पूजा करना काफी लाभदायक होता है। इससे घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और धन की कमी नहीं होती।

स्फटिक शिवलिंग को स्थापित करने की विधि:

- शिवलिंग घरों में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.

Parad Shivling has the special electricity to evoke the strength of Goddess Saraswati. Young children are blessed using this type of electricity to choose curiosity in the things they see and understand what is beneficial and discard what exactly is unwelcome. Worshiping the ling on Mondays will carry large amount of alterations: in service, wealth, associations, wellness psychological and Actual physical, corrects building abnormalities – Vaastu Dosha.

योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे महालिंग की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए get more info पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है

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क्या शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाना चाहिए? – शिवलिंग पर अर्पित किया गया हर प्रसाद चण्डेश्वर का एक भाग है और इस तरह से इस प्रसाद को ग्रहण का अर्थ है भूत प्रेतों के अंश को ग्रहण कर लेना। ध्यान रहे कि केवल पत्थर, मिट्टी और चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में भगवान शिव को शिवलिंग के साथ भित्तिचित्र कला में दर्शाया गया है।

अर्थ - लाखो-कोटी शिवलिंगाची पूजा केल्याने जे फळ प्राप्त होते त्यापेक्षा कितीतरी पटीने जास्त फळ पारद शिवलिंगाची पूजा आणि दर्शन केल्याने प्राप्त होते.

स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से नहीं।

स्थापना से पूर्व जगह को सही से साफ़-सफाई कर उसपर गंगाजल का छिड़काव करते हुए पवित्र करें।

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